जिंदगी प्यार का गीत
जिंदगी प्यार का गीत – ३
रोहन सारा दिन उसी की धुन में खोया रहा, होंठों पर रह रह कर मधुर तराने थिरकते, यूं लगता मानो सारा शहर ही एक गुलाबी फिजा में खो गया है।
आसपास के लोग उस से उस की इस बड़ी सी मुस्कुराहट की वजह पूछते, पर वो तो अपनी ही मस्ती में मगन था। उसे तो हर किसी में वो नजर आ रही थी। कितनी बार दिन में ग्राहकों ने टोका मांगो कुछ देता कुछ और फिर किसी मासूम बच्चे सा मुस्कुरा देता। समय लगता पंख लगा कर उड़ जाए, जल्दी से शाम हो और वो आसमानी परी फिर से नमूदार हो जाए, फिर झुंझलाहट होती लगता घड़ी की सुइयां थम गई हैं।
इन्ही ख्यालों में खोए खोए कब शाम के ६ बज गए पता ही न चला। रोहन की आंखें ४ बजे से ही शिमला से आने वाली हर बस को बेसब्री से तलाश रही थी। हल्की हल्की बारिश फिर हो चली थी और शाम की ठंडक पैर पसारने लगी थी। बादल होने की वजह से ६ बजे ही रात का आभास होने लगा था।
उसी समय एक बस आकर रूकी, उसमे से ३/४ लोग ही उतरे और सबसे आखिर में वो। उसका आसमानी सूट अभी भी गजब ढा रहा था। आंखों का चश्मा हट चुका था और उसकी बड़ी बड़ी आंखें साफ दिख रही थी।
पर ये क्या, बस से उतरते ही उसने छतरी खोली और बिना इधर उधर देखे तेज कदमों से सामने की ओर बढ़ चली, रोहन बस उसे जाते देखता रह गया, कुछ ही देर में वो सड़क के मोड़ के पार आंखों से ओझल हो गई।
रेडियो पे आता गाना रोहन की मनस्तिथ खूब बता रहा था, दिल के अरमान आसुओं में बह गए......
दुकान बंद करने का भी समय नहीं था, रोहन सोच रहा था कहीं सुबह उसको कोई गलत फहमी तो नही हुई, क्या सच में उसने मुझे हो विश किया था या किसी और को..…. पर ये जानने का उसके पास कोई तरीका नहीं था, एक ठंडी सी सांस लेकर रोहन अपने दुकान के काम में ध्यान लगाने की कोशिश करने लगा, पर दिमाग था बार बार उसी के विषय में सोचता.....
इसी सोच में कब शाम के ८ बज गए पता ही न चला। दुकान बंद करके रोहन हल्की फुहार का आनंद लेता हुआ घर की ओर चल पड़ा, अचानक ध्यान आया कल तो रविवार है, दुकान और बाजार बंद रहेगा, शायद वो भी काम पर नहीं जाएगी। उफ्फ ये सन्डे को भी अभी आना था।
अगला सारा दिन बारिश होती रही और रोहन के जहन में वो लड़की किसी कलकल बहते झरने सी घूमती रही। गुमसुम बैठा देख कर मां ने पूछ ही लिया, क्या हुआ बेटा तबियत तो ठीक है ना..... हूं हां मां, सब ठीक है, कह कर वो हंस दिया पर चाह कर भी उसका अक्स उसके मानसपटल पर गहरा अंकित होता जा रहा था।
अगले कुछ दिन तक वस्तुस्थिति में कोई खास फर्क नही पड़ा हां एक बात सुनिश्चित हो गई, वो अभिवादन उसी को करती थी। ये सोच कर रोहन का मन गुदगुदा जाता। कई बार सोचा जा कर उस से बात करे पर वो तो हवा के जैसे आती, मुस्कुराती और सर हिला कर बस में चढ़ कर रवाना हो जाती।
रोहन की बेकरारी दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही थी। हर शाम वो ऐसे निकल जाती मानो वहां कोई हो ही ना, उसके साथ हमेशा १/२ लोग रहते, शायद भाई या शायद..... नही नही, उसकी मांग तो सूनी है अभी........ शादी नही हुई उसकी...….. सोच कर रोहन ने खुद को तसल्ली दी।
इसी तरह कई दिन गुजर गए, रोज दोनो की आंखें चार होती एक दूसरे का अभिवादन और फिर वो चली जाती।
आज रोहन थोड़ा देर से दुकान पहुंचा, जल्दी जल्दी समान जमाना शुरू किया, झाड़ू लगाई और फिर दीपक जलाने लगा, अचानक उसके कानो में एक मधुर सी आवाज आई, सुनिए........ आप के पास चेंज होगी क्या.....???
उसने मुड कर देखा, सामने वो खड़ी थी, गुलाबी रंग के सूट में, हाथ में एक ५० का नोट...... लहरा रहा था। कुछ पल के लिए रोहन मूर्तिमान खड़ा ही रह गया।
सुनिए....… चेंज....... उसने फिर कहा।
जी ..... जी...... हां...... हां....... रोहन जैसे हकलाने लगा।
वो दरअसल बस में कंडक्टर रोज चेंज के लिए परेशान करता है ना....... है आपके पास......…. वो नोट को हवा में लहराते हुए पूछ रही थी।
रोहन की तंद्रा भंग हुई, जी हां,..... है, उसने फुर्ती से जेब से कुछ पैसे निकाले, दस के पांच नोट गिन कर उसकी ओर बढ़ा दिए, और उसका बढ़ा हुआ नोट अपनी शर्ट की सामने पॉकेट में रख लिया।
उसने एक मधुर मुस्कान बिखेरते हुए थैंक यू कहा, और जाने लगी..... फिर अचानक मुड़ कर बोली, उस दिन बारिश में मेरी छतरी पकड़ने का भी थैंक यू, कह कर वो सामने की ओर चली गई और सामने आती बस में बैठ कर आंखों से ओझल हो गई।
रोहन कुछ मिनट तक जड़वत वहीं खड़ा रहा, ५० रुपए की चेंज, बात उसकी समझ में नहीं आ रही थी। कुछ तो था उसकी मुस्कान में जो वो समझ नही पाया था। फिर अचानक उसको याद आया, नोट पर कुछ लिखा था शायद, वो हिला हिला कर उसे वही दिखा रही थी।
वो नोट कहां रखा मैने...... उसने जेब के सारे नोट देख लिए, वो नोट तो गायब हो गया था.... उसने गल्ले के भी सारे नोट देख लिए शायद ५० था या १००/–
पता नही कहां रख दिया, बहुत ध्यान से सोचने पर याद आया, अरे ये तो रहा, ब्रेस्ट पॉकेट में।
उसने नोट को किसी कोमल फूल की तरह जेब से निकाला और देखा।
उस पर एक नाम लिखा था "आशु”, उसके नीचे एक मोबाइल नंबर था, और सबसे नीचे लिखा था ??app
देखते ही रोहन की आंखें खुशी से चौड़ी हो गई। तो ये बात है, मैडम का नाम आशु है।
उसने झट जेब से मोबाइल निकाला और वो नंबर आशु के नाम से सेव कर लिया, फिर एक छोटा सा मेसेज उस नंबर पर भेजा।
हेल्लो, मैं रोहन....
तुरंत, उधर से जवाब आया, जी जानती हूं... बाद में बात करूंगी...... जवाब आते ही आशु की डीपी सामने आ गई उसमे एक श्वेत सुंदर ब्रह्म कमल की तस्वीर थी।
रोहन का मन जवाब सुनते ही खिल उठा.... ऐसा लगता था कि सारे जहां की खुशी उसके दामन में आ गई हैं।
सारा दिन वो एक एक मिनट पर मोबाइल देखता.... पर अभी दूसरा मेसेज नही आया.....।
रेडियो पर गाना बज रहा था, रोहन मुस्कुराते हुए साथ साथ गुनगुनाने लगा..... हम इंतजार करेंगे तेरा कयामत तक.....
क्रमश:
आभार – नवीन पहल – १०.१२.२०२१ ❤️💐🌹🙏
Priyanka Rani
15-Dec-2021 09:40 PM
Nice
Reply
Kaushalya Rani
14-Dec-2021 05:34 PM
Nice written
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नवीन पहल भटनागर
14-Dec-2021 07:05 PM
Thank you
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Seema Priyadarshini sahay
13-Dec-2021 12:22 AM
बहुत ही खूबसूरत
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नवीन पहल भटनागर
14-Dec-2021 07:05 PM
धन्यवाद जी
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